ई-नीलामी, आरएफआईडी ट्रैकिंग और सख्त निगरानी से बढ़ा राजस्व, अवैध खनन पर लगा अंकुश
देहरादून: उत्तराखंड में खनन विभाग ने एक नया इतिहास रचते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 में पहली बार 1100 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड राजस्व अर्जित किया है। यह राज्य गठन के बाद से अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि को सरकार की पारदर्शी नीतियों और सुशासन का प्रत्यक्ष परिणाम बताया है।
पारदर्शी व्यवस्था से हुआ चमत्कार
खनन विभाग ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर अवैध खनन को रोकने और रॉयल्टी की वसूली के लिए नई तकनीक-आधारित और पारदर्शी प्रणाली लागू की है। पहले यह राजस्व 300 से 335 करोड़ रुपये के बीच रहता था, लेकिन अब यह सीधे 1100 करोड़ तक पहुंच गया है।
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सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, ई-नीलामी और ई-टेंडरिंग प्रणाली ने खनन पट्टों के आवंटन को पूरी तरह पारदर्शी बना दिया है। वहीं, RFID ट्रैकिंग सिस्टम, नाइट विजन कैमरे, और GPS आधारित निगरानी व्यवस्था ने खनन वाहनों की लाइव मॉनिटरिंग को सशक्त किया।
अवैध खनन पर सख्त नियंत्रण
राज्यभर में 45 स्थायी खनन चेक पोस्ट्स और सक्रिय जिला स्तरीय प्रवर्तन इकाइयों ने अवैध खनन पर मजबूत नियंत्रण स्थापित किया है। इसके परिणामस्वरूप 74.22 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया, जो पहले के मुकाबले चार गुना अधिक है।
मुख्यमंत्री धामी ने यह भी सुनिश्चित किया कि खनन कार्यों के दौरान पर्यावरणीय संतुलन और सांस्कृतिक विरासत को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे। सभी खनन गतिविधियों को वैज्ञानिक आधार, प्राकृतिक सीमाओं और स्थानीय सहभागिता से जोड़ा गया है।
हजारों युवाओं को मिला रोजगार
खनन क्षेत्र में सुधारों के चलते राज्य में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों युवाओं को रोजगार मिला है। इससे न सिर्फ राजस्व बढ़ा है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास को भी गति मिली है।
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उत्तराखंड का नया खनन मॉडल अब राष्ट्रीय स्तर पर सराहना पा रहा है। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, अन्य राज्य उत्तराखंड के इस मॉडल का अध्ययन कर रहे हैं और इसे अपनाने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
सीएम धामी का बयान
“खनन ऐसा विभाग था, जिस पर हर साल प्रश्न चिह्न खड़े होते थे। जब नीतियां अच्छी होती हैं तो उनके परिणाम भी सकारात्मक होते हैं। मुझे बताया गया कि बीते वित्तीय वर्ष में राज्य ने 1100 करोड़ से अधिक का राजस्व खनन से प्राप्त किया है।”